देने वाले दिया तो इतना
कि आंचल में नहीं समाया
और किसी को तूने मालिक
दाने-दाने को तरसाया
कहीं सूखे खेत
प्यासे मरे मवेशी
कहीं डूबे गांव नगर
इतना तूने जल बरसाया
किसी के हिस्से धूप-धूप दी
किसी के हिस्से दी छाया
कोई बना महलों का राजा
किसी को झोपड न मिल पाया
खुदा मेरे जब मिलेगा मुझसे
तब सवाल ये पूछूंगा
तूने अपने बच्चों में
अंतर इतना किसलिए बनाया?
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