लोग कहते हैं जमाना बदल गया है
रहा करते थे जहां वो आशियाना बदल गया है
तोडकर सीमाएं जग की प्रेम अब स्वछंद हुआ
मूक बनकर देखता हूं, अंदाज पुराना बदल गया है
बर्बाद कर दे भला, तूफान किसी का घर बार
तूफां में उजडे घर को, फिर से बसाना बदल गया है
लौट जा रे तू मुसाफिर वापस अपनी राहों में
आजकल इस शहर में, रस्ता बताना बदल गया है
मेरे सुख में हंसता था, मेरे दुख में रोता था
एहसाह मुझे अब होता है, बेदर्द जमाना बदल गया है
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