उस दिन मैं खजुराहो
से हजरत निजामुद्दीन आने वाली उत्तर प्रदेश संपर्क क्रांति (कुर्ज)
एक्सप्रेस में रिजर्व सीट पर यात्रा कर रहा था। खजुराहो से अगले स्टेशन
महोबा में टेन मानिकपुर से आने वाली दूसरी टेन में जुड़ कर करीब सवा आठ बजे
आगे बढ़ गई। हमेशा की तरह इस बार भी भीड़ काफी ज्यादा थी। इस वजह से जो
लोग जनरल डिब्बों में जगह नहीं पा सके, वे आरक्षित डिब्बों में आकर बैठ गए।
उनमें से ज्यादातर लोगों को शायद पता ही नहीं था कि ये आरक्षित डिब्बे
हैं।
किसी ने उन्हें इन डिब्बों में चढ़ने से रोका भी नहीं। अगले स्टेशन हरपालपुर में भीड़ और बढ़ गई। कुछ लोग टॉयलेट के पास गैलरी में तो कुछ गेट के पास खाली पड़ी जगह में बैठ गए। अपनी सीट पर बैठे लोगों को डर था कि कहीं चालू टिकट लेकर आरक्षित डिब्बे में चढ़ने वाले उनकी सीट पर न बैठ जाएं, इसलिए वे करीब करीब पसरे हुए थे। इस बीच अचानक कंपार्टमेंट में हलचल होने लगी। पूछने पर पता चला कि टीटी चालू टिकट लेकर आरक्षित डिब्बे में चढ़ने वालों को धमका रहा था। उसके हाथ में जुर्माने की रसीदें थीं जिनका इस्तेमाल वह सिर्फ डराने के लिए कर रहा था। जब एक लड़के ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं तो टीटी ने उसका गिरेबान पकड़कर डिब्बे से उतार दिया। इसके बाद वह उसे गालियां भी देने लगा।
इस तरह उसने डिब्बे में बैठे लोगों को संकेत दे दिया कि अगर उनके पास भी पैसे नहीं हैं तो यही हश्र उनका होने वाला है। टीटी ने अपनी तेज निगाहों से ऐसे लोगों की पहचान कर ली और उन्हें पैसे निकालने को कहकर आगे बढ़ गया। डिब्बे में टिकट चेक करने के बाद टीटी फिर उन लोगों के पास पहुंचा। चालू टिकट देखकर किसी से तीन सौ तो किसी से चार सौ रुपए मांगने लगा। उसने चालू टिकट वाले किसी भी शख्स को नहीं बख्शा। जिससे जितने बन पड़े, उतने पैसे ऐंठ लिए। लेकिन उसने किसी की भी जुर्माने की पचीर् नहीं काटी। सिर्फ एस-5 और एस-6 में करीब 65-70 लोग टीटी की इस सार्वजनिक लूट का शिकार बने।
डिब्बे में करीब 50 साल की एक महिला भी थी। उसके पास चालू टिकट तो था लेकिन टीटी की जेब गर्म करने के लिए पैसे नहीं थे। वह गलती से आरक्षित डिब्बे में चढ़ गई थी। जब टीटी उसके पास पहुंचा तो वह फूट-फूटकर रोने लगी। महिला टीटी से विनती कर रही थी कि उसे छोड़ दे, लेकिन वह बिना पैसे लिए मानने को तैयार न था। महिला अपने बच्चों की कसम खाकर कह रही थी कि उसके पास पैसे सचमुच नहीं हैं। काफी देर तक बहस करने के बाद टीटी ने अगले स्टेशन पर उसे डिब्बे से उतर जाने को कहा। इसके बाद स्लीपर डिब्बों में लोगों से उगाही के बाद वह खुद एसी कंपार्टमेंट में घुस गया और फिर लौटकर नहीं आया।
किसी ने उन्हें इन डिब्बों में चढ़ने से रोका भी नहीं। अगले स्टेशन हरपालपुर में भीड़ और बढ़ गई। कुछ लोग टॉयलेट के पास गैलरी में तो कुछ गेट के पास खाली पड़ी जगह में बैठ गए। अपनी सीट पर बैठे लोगों को डर था कि कहीं चालू टिकट लेकर आरक्षित डिब्बे में चढ़ने वाले उनकी सीट पर न बैठ जाएं, इसलिए वे करीब करीब पसरे हुए थे। इस बीच अचानक कंपार्टमेंट में हलचल होने लगी। पूछने पर पता चला कि टीटी चालू टिकट लेकर आरक्षित डिब्बे में चढ़ने वालों को धमका रहा था। उसके हाथ में जुर्माने की रसीदें थीं जिनका इस्तेमाल वह सिर्फ डराने के लिए कर रहा था। जब एक लड़के ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं तो टीटी ने उसका गिरेबान पकड़कर डिब्बे से उतार दिया। इसके बाद वह उसे गालियां भी देने लगा।
इस तरह उसने डिब्बे में बैठे लोगों को संकेत दे दिया कि अगर उनके पास भी पैसे नहीं हैं तो यही हश्र उनका होने वाला है। टीटी ने अपनी तेज निगाहों से ऐसे लोगों की पहचान कर ली और उन्हें पैसे निकालने को कहकर आगे बढ़ गया। डिब्बे में टिकट चेक करने के बाद टीटी फिर उन लोगों के पास पहुंचा। चालू टिकट देखकर किसी से तीन सौ तो किसी से चार सौ रुपए मांगने लगा। उसने चालू टिकट वाले किसी भी शख्स को नहीं बख्शा। जिससे जितने बन पड़े, उतने पैसे ऐंठ लिए। लेकिन उसने किसी की भी जुर्माने की पचीर् नहीं काटी। सिर्फ एस-5 और एस-6 में करीब 65-70 लोग टीटी की इस सार्वजनिक लूट का शिकार बने।
डिब्बे में करीब 50 साल की एक महिला भी थी। उसके पास चालू टिकट तो था लेकिन टीटी की जेब गर्म करने के लिए पैसे नहीं थे। वह गलती से आरक्षित डिब्बे में चढ़ गई थी। जब टीटी उसके पास पहुंचा तो वह फूट-फूटकर रोने लगी। महिला टीटी से विनती कर रही थी कि उसे छोड़ दे, लेकिन वह बिना पैसे लिए मानने को तैयार न था। महिला अपने बच्चों की कसम खाकर कह रही थी कि उसके पास पैसे सचमुच नहीं हैं। काफी देर तक बहस करने के बाद टीटी ने अगले स्टेशन पर उसे डिब्बे से उतर जाने को कहा। इसके बाद स्लीपर डिब्बों में लोगों से उगाही के बाद वह खुद एसी कंपार्टमेंट में घुस गया और फिर लौटकर नहीं आया।
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