अभी कल तलक
कहते थे-
नहीं होने देंगे अन्याय
लडेंगे अत्याचारी से
झोपड़ी और गगन चूमती
एसीदार इमारतों के बीच
कर देंगे खत्म फासला
आज वह भी,
उन्हीं लोगों की जमात में
हो गए हैं शामिल
सबसे आगे चल रहे हैं उठाकर
उनका झंड़ा
उसी एसीदार इमारत पर
ले लिया है फ्लैट
बालकनी में खडे़ होकर
देखता है झोपड़ी की तरफ
जहां से उठकर आया है
अब खटक रही है उसे
अपने बगल में
उस झोपड़ी की लोकेशन।
कहते थे-
नहीं होने देंगे अन्याय
लडेंगे अत्याचारी से
झोपड़ी और गगन चूमती
एसीदार इमारतों के बीच
कर देंगे खत्म फासला
आज वह भी,
उन्हीं लोगों की जमात में
हो गए हैं शामिल
सबसे आगे चल रहे हैं उठाकर
उनका झंड़ा
उसी एसीदार इमारत पर
ले लिया है फ्लैट
बालकनी में खडे़ होकर
देखता है झोपड़ी की तरफ
जहां से उठकर आया है
अब खटक रही है उसे
अपने बगल में
उस झोपड़ी की लोकेशन।
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